शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…

कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…

क्या हुआ अगर मेरे लब तेरे लब से लग गये
नाराज़ क्यूँ हो रही हो माफ़ ना करो तो बदला ही ले लो

लोग पूँछने लगे हैं मुझसे मेरी उदासी की वजह
अगर हो इजाज़त तो तुम्हारा नाम बता दूँ.
G.R...s

"मै तेरी मजबूरिया समझता था इसलिए जाने दिया...
अब तु भी मेरी मजबूरिया समझ और वापस आ जा...!!"

कश्ती मोहब्बत की ले के निकले थे तूफ़ानो में
हमारे यार ने ही हमारी कश्ती को डूबो दिया

कोन खरीदेगा हीरों के दाम अब तूम्हारे आंसू
जो दर्द का सौदागर था, मोहब्बत छोड़ दी उसने

उसने पूछा ज़िन्दगी किसने बर्बाद की तुम्हारी
उठाई हमने ऊँगली और अपने ही दिल पे रख दी

मैने उस से कहा बहुत प्यार आता है तुम पर...
उसने कहा- और तुम गरीब लोगोँ को आता भी
क्या है ??

इतना हक ना दे मुझे हम मौका परस्त है
जुल्फों को सुलझाते सुलझाते लबों को चूम लिया करते

सोचा था सुनाएंगे सब गिले शिकवे उन्हें
मगर उनसे इतना भी न हुआ कि पूछें खामोश क्यूँ हो

उसके नर्म हाथों से फिसल जाती है चीज़ें अक्सर
मेरा दिल भी लगा है उनके हाथो खुदा खैर करे

हर "जुर्म" पे उठती हैं उँगलियाँ मेरी तरफ__
क्या "मेरे" सिवा शहर में "मासूम" हैं सारे।

इश्क करने चला है तो कुछ अदब भी सीख लेना
इसमें हँसते साथ है पर रोना अकेले ही पड़ता है
er kasz

हमारे दुश्मनों को हमारे सामने सर उठाने की हिम्मत नही
और वो पगली दिल से खेल कर चली गयी