यहाँ जीना है तो नींद में भी पैर हिलाते रहिये….!!
वर्ना दफ़न कर देगा ये शहर, तुझे मुर्दा समझकर….!!!

वो मेरी किस्मत में नहीं,
ये सुना है लोगों से,
फिर सोचता हूँ,
किस्मत खुदा लिखता है लोग नहीं…

नींद उड़ा कर मेरी कहते है वो कि सो जाओ कल बात करेंगे
अब वो ही हमें समझाए कि कल तक हम क्या करेंगे…

मेरा दिल मुझसे कहता है कि वो बापस आयेगी
मैँ दिल से कहता हूँ कि उसने तुझे भी झूठ बोलना सिखा दिया

आखिर गिरते हुऐ आँसुओं ने पूछ ही लिया…..
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निकाल दिया न मुझे उसके लिऐ जिसके लिए तु कुछ भी नही…

ऐ तन्हाई तू अब निकाह कर ले मुझसे
जब उम्र भर साथ ही रहना है तो
चल जमाने कि ये रस्मे भी अदा कर लें

उनकी फ़ितरत है वो दर्द देने की रस्म अदा कर रहे हैं
हम उसूलों के पक्के दर्द सहकर भी वफ़ा कर रहे हैं

टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया !
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी !!

मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद तो सो जाता है, मुझे करवटों में छोड़ कर!

ज़िन्दग़ी के सफ़र से बस इतना ही सबक सिखा है
सहारा कोई नहीं देता धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है

ज़िद "मत किया करो" "मेरी दास्तान" सुनने की….
यारो….
मैं "हँस" कर कहूँगा तो भी तुम रोने लगोगे…..

तुम्हे उल्फ़त नहीं मुझसे मुझे नफ़रत नहीं तुमसे
अजब शिक़वा सा रहता है तुम्हे मुझसे मुझे तुमसे

मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते
या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे

ऐ दिल तड़पना बंद कर अब तू रातों को सोता क्यूँ नही
वो भी किसी का हो गया तू भी किसी का होता क्यूँ नहीं

अब ये न पूछना की..
ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के,
कुछ अपनी सुनाता हूँ|