तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे; खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे; अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो; तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे; खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे; अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो; तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
दिल मे एक शोर सा हो रहा है. बिन आप के दिल बोर हो रहा है. बहुत कम याद करते हो आप हमे. कही ऐसा तो नही की… ये दोस्ती का रिश्ता कमज़ोर हो रहा है..
बहुत वक़्त लगा हमें आप तक आने में; बहुत फरियाद की खुदा से आपको पाने में; कभी यह दिल तोड़ कर मत जाना; हमने उम्र लगा दी आप जैसा सनम पाने में।
आँखों के सामने हर पल आपको पाया है; अपने दिल में सिर्फ आपको ही बसाया है; आपके बिना हम जियें भी तो कैसे; भला जान के बिना भी कोई जी पाया है।
कभी मोहब्बत करो तो हमसे करना; दिल की बात जुबाँ पर आये तो हम से कहना; न कह सको कुछ तो आँखें झुका लेना; हम समझ जायेंगे हमें तुम न कुछ कहना।
माना की तुम जीते हो ज़माने के लिये! एक बार जी के तो देखो हमारे लिये! दिल की क्या औकात आपके सामने! हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!
मुहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं! प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं! मुद्दतें बीत जाती हैं किसी के इंतज़ार में! ये सिर्फ पल-दो-पल का काम नहीं!
घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली; सारी गली उनकी फिराक मे निकली; इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से; और हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली।
हमारा हर लम्हा चुरा लिया आपने! आँखों को एक चाँद दिखा दिया आपने! हमें ज़िन्दगी तो दी किसी और ने! पर प्यार इतना देकर जीना सिखा दिया आपने!
ये दिल न जाने क्या कर बैठा; मुझसे बिना पूछे ही फैसला कर बैठा; इस ज़मीन पर टूटा सितारा भी नहीं गिरता; और ये पागल चाँद से मोहब्बत कर बैठा।
जिस तरह रगों में खून रहता है; इस तरह तेरी चाहत का जुनून रहता है; ज़िंदगी की हर ख़ुशी मंसूब है तुमसे; बात हो तुमसे तो दिल को सुकून रहता है।
मुझे भी अब नींद की तलब नहीं; अब रातों को जागना अच्छा लगता है; पता नहीं वो मेरी तकदीर में है कि नहीं; पर उसे खुदा से माँगना अच्छा लगता है।
आप को देख कर यह निगाह रुक जाएगी; ख़ामोशी अब हर बात कह जाएगी; पढ़ लो अब इन आँखों में अपनी मोहब्बत; कसम से सारी कायनात इसे सुनने को थम जाएगी।
बहते अश्कों की ज़ुबान नहीं होती; लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयां नही होती; मिले जो प्यार तो कदर करना; किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नहीं होती।
फ़िज़ा में महकती शाम हो तुम; प्यार में झलकता जाम हो तुम; सीने में छुपाये फिरते हैं चाहत तुम्हारी; तभी तो मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम हो तुम।