मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो
दिल बैचैन हैं बहुत कहीं तुम उदास तो नहीं

मोहब्बत तेरी सूरत से नही तेरे किरदार से हे
शौक ऐ हूस्न होता तो बाजार चले जाते

सुना था दिल समंदर से भी गहरा होता है हैरान हूँ
समाया नही इसमे तेरे सिवा और कोई

मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए
वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये

हम मतलबी नहीं कि चाहने वाले को धोखा दें,,
बस हमें समझना हर किसी के बस की बात नही...!

चुप चाप चल रहे थे अपनी मंज़िल की और
फिर ठेके पर नज़र पड़ी और गुमराह से हो गये हम

माना की तु किसी बेगम से कम नही
but तेरी baat में तब तक dum नहीं
जब तक तेरे बादशाह हम नहीं

देखना एक दिन मैं बदल जाऊंगा पूरी तरह
तुम्हारे लिए न सही तुम्हारी वजह से यकीनन

जिंदगी में बेशक हर मौके का जरुर फायदा उठाओ
मगर किसी के हालात और मजबूरी का नहीं

किसी रोज़ रोशन मेरी भी ज़िंदगी होगी
इंतेज़ार सुबह का नही किसी के लौट आने का है

मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...

कोई दुश्मनी नही ज़िन्दगी से मेरी बस ज़िद्द है
की किसी के साथ नही जीना चाहता अब

अब सीख गये हैं हुनर हम तो ग़म छुपाने का,
रो लेते हैं इस तरह कि; आँखें नम नहीं होतीं.!!

यूँ तो नहीं कि हमारी जरूरतों में शामिल तुम नहीं अब
बस अधूरापन ही रास आने लगा अब

छोड़ तो दिया मुझे पर कभी ये सोचा है तुमने
अब कभी झूँठ बोला तो कसमें किसकी खाओगे