मौसम की तरह बदले हैं उसने अपने वादे
ऊपर से ये जिद्द कि तुम मुझ पर यकीन करो
मौसम की तरह बदले हैं उसने अपने वादे
ऊपर से ये जिद्द कि तुम मुझ पर यकीन करो
जब मेरी नब्ज देखी हकिम ने तो ये कहा
कोई जिन्दा हे इसमे लेकीन ये मर चुका है
अगर प्यार करती हो तो आ सामने,,
यु छीप छीप कर स्टेटस
पढने का मतलब क्या हैं?
वो जो औरों को बताता है जीने के तरीके ,
खुद मुट्ठी में मेरी जान लिए फिरता है .
कोन कहता हे मुसाफिर जख्मी नही होते
रस्ते गवाह है कम्बख्त गवाही नही देते
तैवर दीखाना हमे भी आता है पगली
लेकीन माँ ने लडकीयो की ईजजत करना सिखाया हे
सुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको
कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो
उनकी नजरो में फर्क अब भी नहीं पहले मुड़ के देखते थे
और अब देख के मुड़ जाते हैं
मुसीबतो से उभरती है शख्सियत यारो,
जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का..
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है,
आखरी सास तक तेरा इंतजार करू !
तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे
शहेर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे
बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना
मोहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती
आज उसने बहुत अजीब सी बात कही तुम जिन्दगी हो मेरी
और मुझे जिन्दगी से नफरत है
जो निखर कर बिखर जाये वो कर्तव्य है
और जो बिखर कर निखर जाए वो व्यक्तित्व हैं
बुलंदी तक पहुंचना चाहता हूँ मै भी
पर गलत राहो से होकर जाऊ इतनी जल्दी भी नही