मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे बुलंद इरादे
मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाँथों की लकीरों की

न लफ़्ज़ों का लहू निकलता है न किताबें बोल पाती हैं
मेरे दर्द के थे दो गवाह दोनों बे-जुबान निकले

हम उनसे तो लड़ सकते हैं जो खुले आम दुश्मनी रखते हैं
पर उनका क्या करें जो साथ रहकर वार करते हैं

वक्त का तकाजा हर फर्ज़ को मजबूर करता है
वरना कौन पिता अपनी चाँद सी बेटी को अपने से दूर करता है

सोचते‬ हैं जान‬ अपनी उसे‬ मुफ्त ‎ही‬ दे दें‬
इतने‬ मासूम ‪से‬ खरीदार‬ से ‎क्या‬ लेना ‪देना‬

वो बोली छोड क्लास को film देखने चलते हैं
मै बोला इतनी selfish ना बन उनके लिए भी सोच जो मेरे लिए class में आती है

मुझको पढ़ पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं
मै वो किताब हूँ जिसमे शब्दों की जगह जज्बात लिखे है
Er kasz

तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह

खता मेरी नही बहकने मे तेरी गजरे की खूशबू
तेरी पायल की छनछन तेरी चूडियो की खनक ने बहका दिया मुझे

हारना तब आवश्यक हो जाता है जब लङाई अपनों से हो
और जीतना तब आवश्यक हो जाता है जब लङाई अपने आप से हो

हाल तो पुंछ लू तेरा ...
पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी.......!!
ज़ब ज़ब सुनी हैं .....
कमबख्त मोहब्बत ही हुई हैं ......!!

मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि
मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का

शायरी वो नही लिखते हैं जो शराब से नशा करते हैं..♡
शायरी तो वो लिखते हैं जो यादों से नशा करते हैं..♡♡♡

आजकल आम भी खुद ही गिर जाया करते है पेड़ो से
क्योंकि उन्हें छिप छिप कर तोड़ने वाला बचपन जो नहीं रहा

रात पूरी जाग कर गुजार दूं तुम्हारी खातिर
एक बार कह के तो देखो कि तुम्हे भी मेरे बिना नींद नहीं आती