तेरी आवाज़ तेरे रूप की पहचान है
तेरे दिल की धड़कन में दिल की जान है
ना सुनूं जिस दिन तेरी बातें
लगता है उस रोज़ ये जिस्म बेजान है

वो हमको पत्थर और खुद को फूल कह कर मुस्कुराया करते हैं
उन्हें क्या पता कि पत्थर तो पत्थर ही रहते हैं
फूल ही मुरझा जाया करते हैं

गम ने हसने न दिया ज़माने ने रोने न दिया
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया
थक के जब सितारों से पनाह ली
नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया

तेरे होने पर खुद को तनहा समझू मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू
ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझ

जिंदगी भर दर्द से जीते रहे
दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे
कई बार सोंचा कह दू हाल-ए-दिल उससे
पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे

कभी-कभी ज़िंदगी में ये तय करना बड़ा मुश्किल हो जाता है
कि गलत क्या है
वो झूठ जो चेहरे पे मुस्कान लाए या वो सच जो आँखों में आंसू लाए

गिले कागज कि तरह है मेरी ज़िंदगी कोइ जलाता भी नही और कोई बहाता भी नही
ऐसे अकेले हो गए हैं हम आज कल कोई सताता भी नही और कोई मनाता भी नही

दामाद उम्र में छोटा होता है फिरभी ससुराल मे सभी उसे आप कहके बुलाते है
क्योंकि हमारे देश मे शहीदों का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है

लोग अपना बना के छोड़ देते हैं अपनों से रिशता तोड़ कर गैरों से जोड़ लेते हैं
हम तो एक फूल ना तोड़ सके नाजाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं

आसमां में मत ढूँढ अपने सपनों को
सपनों के लिए तो ज़मीं जरूरी है
सब कुछ मिल जाये तो जीने का क्या मजा
जीने के लिए कुछ कमी भी तो जरूरी है..

वो पगली आज बरसो बाद मिली तो गले लगकर खूब रोई में हल्का सा मुस्कुराया
और बोला तुम वही होना जिसने कहा था तुम्हारे जैसे तो हजारो मिलेंगे

जो जितना दूर होता है नज़रो से उतना ही वो दिल के पास होता है
मुस्किल से भी जिसकी एक ज़लक देखने को ना मिले वही ज़िंदगी मे सबसे ख़ास होता है

महक होती तो तितलियाँ जरूर आती,
कोई रोता तो सिसकियाँ जरूर आती,
कहने को तो लोग मुझे बुहत याद करते है,
मगर याद करते तो हिचकियाँ जरूर आती..!!

मीठा शहद बनाने वाली मधुमक्खी भी डंख मारने से नहीं चुकती
इसलिए होंशियार रहें…
बहुत मीठा बोलने वाले भी ‘हनी’ नहीं ‘हानि’ दे सकते है
=RPS

वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं ये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है
दोस्तो कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं