तुमने कहा था हर शाम तेरे साथ गुजारेगे,
तुम बदल चुके हो या फिर तेरे शहर में शाम ही नहीं होती?

मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी

किसी मूर्ख से कभी तर्क ना करें
अन्यथा लोग यह नहीं पहचान पाएंगे की वास्तव में मूर्ख कौन है

मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी,
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी...

जी कर रहा है फिर से स्टूडेंट बन जाऊं ग़ालिब
सुना है आजकल उसने मोहल्ले में कोचिंग खोल ली है

छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना

"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..

ऐ जिन्दगी तु ही बता मैं तेरा गुनहेगार तो नहीं
फिर क्यू तु हमेशा मुझ से रूठी रूठी सी रहती है

दिलासा देते है लोग कि यू हर वक्त रोया न करो
मै कैसे बताऊँ कि कुछ दर्द सहने के काबिल नही होते

यूँ किस बात का इन्तकाम है तेरा, मेरे दोस्त,
तेरा देख के ना देखने का अंदाज तौबा मेरे सब्र की।

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते
और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद

........."सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने
"हसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है !!

जान जब प्यारी थी कम्बखत उस वक्त वो भी हमारी थी
आज जब मरने का शोक है तो एक भी क़ातिल नज़र नही आता

तुमने कहाँ हम याद नहीं आएँगे तुम्हें फिर
बताना ज़रा ये सुबह-सुबह हमारा ज़िक्र क्युँ बोलो