वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत हैं,
वो रोज नया जख्म देती थी मेरी ख़ुशी के लिए…
स्क्रीन टच करने वाली तो हजारों मिली
yarro लेकिन तलाश है मुझे उस छोरी की जो दिल को टचकर जाये
सस्ता सा छोटा सा घरौंदा पसंद है मुझे तेरी बाँहों का
इनमे मुझे दोनों जहां का सुकून मिलता है
गर लफ्ज़ों में कर सकते बयान इंतेहा-ए-दर्द ए दिल
लाख तेरा दिल पत्थर का सही
कब का मोम कर देते
तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम?
अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !
मैंने तो यु ही पूछा था कि कयु आयी हो इस धरती पर
वो पगली मुस्कुरा के प्यार से बोली आपके लिए
G.R..s
कितने स्वीट हो तुम मेरी सारे बातें मानते हो
रात को ख़्वाबों में आए थे और मुस्कुराकर चले गए
मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म कर लेना
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे हमारी तरह इन तन्हा रातों के
मेरी शायरी कितनी ही अच्छी क्यों ना हो दोस्तों
लिखने का आनंद तो आपके तारीफ़ के बाद ही आता है
वक़्त और दोस्त मिलते तो मुफ्त हैं
लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता हैजब ये कहीं खो जाते हैं
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे जहाँ चाहा रो सकते थे
अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए अश्कों को तनहाई
हम इतना sweet नही कि diabeties हो जाए
ना इतना salty B.P. बड जाए
ना इतना tasty कि maza आ जाए
पर इतना कडवा भी नही कि याद ना आए
कुर्बान हो गया मैं उस सख्श की हाथों की लकीरों पर
जिसने तुझे माँगा भी नहीं और तुझे पा भी लिया
भारत वो महान देश है जहां ट्रैफिक की लाल लाईट से ज्यादा
लोग काली बिल्ली को देख कर रुक जाते है
मैं कभी बुरा नहीं था उसने मुझे बुरा कह दिया
फिर मैं बुरा बन गया ताकि उन्हें कोई जुठा न कह सके