जीवन में तीन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिये
1 मुसीबत में साथ देने वाले को
2 मुसीबत में साथ छोड़ने वाले को
3 मुसीबत में डालने वाले को
जीवन में तीन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिये
1 मुसीबत में साथ देने वाले को
2 मुसीबत में साथ छोड़ने वाले को
3 मुसीबत में डालने वाले को
दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो यादों में आ कर चैन चुराती है वो
ख्वाबों में एक ऐहसास जगा रखा है बन्द आँखों में अश्क बन के तडपाती है वो
किसी के अच्छाई का इतना भी फायदा मत उठाओ की
वो बुरा बनने के लिये मजबुर बन जाये
बुरा हमेशा वही बनता हे जो अच्छा बनके टूट चूका होता हे
मेरे दिल के दर्द को किसने देखा है; मुझे बस मेरे खुदा ने तड़पते देखा है; हम तन्हाई में बैठे रोते हैं; लोगों ने हमे महफ़िल में हँसते देखा है।
किसी की चाहत में इतने पागल न हो; हो सकता है वो आपकी मंज़िल न हो; उसकी मुस्कुराहट को मोहब्बत न समझना; हो सकता है मुस्कुराना उसकी आदत ही हो।
ज़ख्म मेरा है दर्द मुझे होता है; ज़माने में कौन किसका होता है; उन्हें नींद नहीं आती जो मोहब्बत करते हैं; जो दिल तोड़ता है वो चैन से सोता है।
चाहने से कोई चीज़ अपनी नही होती
हर मुस्कुराहट खुशी नही होती
अरमान तो भूख होती है दिल मे
मगर कभी वक़्त तो कभी किस्मत सही नही होती
उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है; जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है; दिल टूटकर बिखरता है इस कदर; जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!
सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको! किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको! पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा! अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको!
उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है! जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है! दिल टूटकर बिखरता है इस कदर! जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!
मैंने दिल को लाख समझाया की ऐ दिल उनको याद करना छोड़ दे
पर दिल के हर कोने से आवाज़ आई,यहाँ तो हर सांस में वो बसे है तो क्या सांस लेना छोड़ दे...
लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में; किसकी बनी है आलम-ए-ना पैदार में; कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें; इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दागदार में।
एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर
आज फिर तेरी याद आयी बारिश को देख कर; दिल पे ज़ोर न रहा अपनी बेबसी को देख कर; रोये इस कदर तेरी याद में; कि बारिश भी थम गयी मेरी बारिश को देख कर।
जब मिलने लगा उसकी मोहब्बत में सुकून; फिर यूँ हुआ वो मेरा साथ छोड़ गया; अभी बहुत बाकी थी हसरतें दिल में; मगर वो शख्स अधूरी मुलाक़ात छोड़ गया।