फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की; निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की; तुम भी छोड़कर चले गए हमें; अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।

आसमां में मत ढूँढ अपने सपनों को
सपनों के लिए तो ज़मीं जरूरी है
सब कुछ मिल जाये तो जीने का क्या मजा
जीने के लिए कुछ कमी भी तो जरूरी है..

फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की; निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की; तुम भी छोड़कर चले गए हमें; अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।

उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो

अगर किसी ‪#‎दिन‬ ‪#‎रोना‬ ‪#‎आये‬ ,
तो ‪#‎कॉल‬ ‪#‎करना‬ ,
‪#‎हसाने‬ की ‪#‎गारंटी‬ नही ‪#‎देता‬ हूँ ,
पर ‪#‎तेरे‬ ‪#‎साथ‬ ‪#‎रोऊंगा‬ जरुर !!!🙏🙏

महफ़िल में हँसना मेरा मिज़ाज़ बन गया; तन्हाई में रोना एक राज़ बन गया; दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर न होने दिया; यही मेरे जीने का अंदाज़ बन गया।

जब भी करीब आता हूँ बताने के किये; जिंदगी दूर रखती हैं सताने के लिये! महफ़िलों की शान न समझना मुझे; मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिये!

सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली; एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली; करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर; हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये; तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये; कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें; और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये।

ज़ख़्म देने का अंदाज़ कुछ ऐसा है; ज़ख़्म देकर पूछते हैं कि हाल कैसा है; किसी एक से गिला अब क्या करें हम; यहाँ तो सारी दुनिया का मिज़ाज़ एक जैसा है।

उसने कहा मत देख मेरे सपने मुझे पाने की तेरी औकात नही
मेंने भी हस कर कहा पगली आना हो तो आजा मेरे सपनो मे हकीकत मे आने की तेरी औकात नही
Er kasz

बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता
जब बी देखता वो अपने हाथों को
उसे हमारा ख़याल तो आया होता

सुहाना मौसम ओर हवा मे नमी होगी
आशुंओ की बहती नदी होगी
मिलना तो हम तब भी चाहेगे आपसे
जब आपके पास वक्त और हमारे पास सासों कि कमी होगी

बेताब से रहते हे तेरी याद मे अक्सर रात भर नही सोते तेरी याद मे अक्सर
जिस्म मे दर्द का बहाना सा बना के हम टूट के रोते हे तेरी याद मे अक्सर

शाम होते ही दिल उदास होता है
टूटे ख्वाब के सिवा कुछ ना पास होता है
आप की याद उस वक़्त बहुत आती है
जब किसी अपने की कमी का एहसास होता है