किसी के दिल का दर्द किसने देखा है; देखा है तो सिर्फ चेहरा देखा है; दर्द तो तन्हाई मे होता है; लेकिन तन्हाइयो मे लोगों ने हमे हँसते हुए देखा है!
किसी के दिल का दर्द किसने देखा है; देखा है तो सिर्फ चेहरा देखा है; दर्द तो तन्हाई मे होता है; लेकिन तन्हाइयो मे लोगों ने हमे हँसते हुए देखा है!
कितना भी चाहो ना भूला पाओगे
हमसे जितना दूर जाओ नज़दीक पाओगे
हमे मिटा सकते हो तो मिटा दो यादें मेरी
मगर क्या सपनो से जुदा कर पाओ गे हमे
वक़्त बदलता है हालात बदल जाते हैं
ये सब देख कर जज़्बात बदल जाते हैं ये कुछ नही बस वक़्त का तक़ाज़ा है
दोस्तो कभी हम तो कभी आप बदल जाते हैं
जो हम न सोच सकें लोग सोच लेते हैं दिखा के ख़्वाब वो आँखों को नोच लेते हैं
कभी जो आँख के कोनों पे झिलमिलाते हैं वो आँसू ग़मज़दा पलकों से पोंछ लेते हैं
मोहब्बत में टूटे, तो फिर संभालना नही आया,उनसे बिछड़े है जबसे, फिर मचलना नही आया,मेरे दिल की,तासीर ही कुछ ऐसी रही कि,उनसे किये वादों से, फिर मुकरना नही आया.
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने; कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने; हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो; अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
रोते रहे तुम भी रोते रहे हम भी; कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी; ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी; बस समझाते रहे तुम भी और समझाते रहे हम भी।
ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका; मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका; ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया; ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।
जिनके दिल पे लगती है चोट वो आँखों से नही रोते
जो अपनो के ना हुए किसी के नही होते
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है
की सपने टूट जाते हैं पर पूरे नही होते
माना तू हमें भरी महफ़िल में बदनाम करती हैं
पर तुझे शायद अंदाज़ा नहीं हमारी औकात का
वो लोग भी हमारे पैर छुते हैं जिन्हें तू भरी महफ़िल में सलाम करती है
दामाद उम्र में छोटा होता है फिरभी ससुराल मे सभी उसे आप कहके बुलाते है
क्योंकि हमारे देश मे शहीदों का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता हैसम्मान से लिया जाता है
मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है
और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको हुमारा ये पेघाम हैं
वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो
वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो
मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो; काफ़िर अगर हज़ार बरस दिल में तू न हो; क्या लुत्फ़-ए-इंतज़ार जो तू हीला-जू न हो; किस काम का विसाल अगर आरज़ू न हो। शब्दार्थ: हीला-जू = बहाना करने वाला विसाल = मिलन
कोई लम्हा न मुझे, अब सुकु देता है
रिश्ता हर एक, मेरा दर्द बढ़ा देता है
हमने तो निभाए दिल से हमेशा रिश्ते
जमाना तो रस्मों से काम चला लेता है
कोई तो हो लगाए, मेरे दिल पे मरहम
अब तो हरेक शक्स जख्म नया देता है