जिन्दा लोगो को होती है मदद की उम्मीद
लाशें कभी कफन के लिऐ गुहार नही लगाती

इसी बात ने उसे शक मेँ डाल दिया हो शायद
इतनी मोहब्बत उफ्फ कोई मतलबी ही होगा

ना जाने इस ज़िद का नतीज़ा क्या होगा..
समझता दिल भी नहीँ, वो भी नहीँ, मैँ भी नहीँ..

तमाम उम्र इसी बात का गुरुर रहा मुझे
किसी ने मुझसे कहा था की हम तुम्हारे है

अगर रुक जाये धड़कन तो इसे मौत न समझना
अक्सर होता है ऐसा तुझे याद करते-करते

तुम किसी और से मालूम तो करके देखो
हम किसी ओर के कितने है और तुम्हारे कितने

वो मिल जाए मुझे तो यू समझूंगा
के जन्नत का एलान हो गया किसी गुनाहगार के लिए

तुझे देखकर ही शुरू होती है मेरी हर सुबह
फिर कैसे कह दूँ के मेरे दिन खराब है

उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती!

उस खुश दिल ने भी कोई हादसा सहा होगा
उन हस्ती आँखों में भी कोई आंसू रहा होगा

तुम पे गुजरेगी तो तुम भी जान जाओगे
कोई अपना याद न करे तो कितना दर्द होता है

वक़्त खराब है तो झुकता जा रहा हूँ
जब दिमाग खराब होगा तो हिसाब पल पल का लूँगा

कहाँ कोई यहाँ आता है कुछ करने के लिए
एक उम्र ज़िंदा रहना पड़ता है मरने के लिए

बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में

अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है.....
कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू...