मिलने को तो मिलते है दुनिया में कई चेहरे
पर तुम सी मोहब्बत हम खुद से भी न कर पाए

हथेलियों पर मेहँदी का “ज़ोर” ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे “नाम” कि लकीरें…!!!!

इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-दर्द अक्सर; कि दर्द हद से जो गुज़रेगा मुस्कुरा दूंगा।

उदासी तुम पे बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे कि कितना दर्द होता है नज़र अंदाज़ करने से।

हम जिंदगी की भागदौड़ मे इतने लीन हो गए
पता ही नहीं चला गोलगप्पे कब 10 के तीन हो गए

जिसको भी चाहा उसे शिद्दत से चाहा है फ़राज़ ; सिलसिला टूटा नहीं है दर्द की ज़ंजीर का।

दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं; जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते हैं।

सिमट गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाजों में, जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.

अब तेरा नाम हथेलियों पर नहीं लिखते हम…
कारोबार में सबसे हाथ मिलाना पड़ता है।।

उसने मेरे हाथ की लकीरें देखी और बोले
तुझे जिन्दगी में मेरे सिवा सब कुछ मिलेगा

गर काबिलियत है मोहब्बत के पैमाने आपके लिए
तो नहीं अब मेरी मोहब्बत के क़ाबिल आप

बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ; धूप कितनी भी तेज़ हो समंदर नहीं सूखा करते।

ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है; हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है।

जुबां पर जब किसी के दर्द का अफ़साना आता है; हमें रह-रह कर अपना दिल-ए-दीवाना आता है।

मुझे ढूंढ़ने की कोशिश अब ना किया कर
तूने रास्ता बदला तो मैंने मंजिल ही बदल डाली