मुझे ढूंढ़ने की कोशिश अब ना किया कर
तूने रास्ता बदला तो मैंने मंजिल ही बदल डाली

फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही

जिन्दगी से हम अपनी..कुछ उधार
नहीं लेते !
कफन भी लेते हैं तो अपनी
जिंदगी देकर..!!

न कोई इलज़ाम न कोई तंज़ न कोई रुसवाई मीर; दिन बहुत हो गए यारों ने कोई इनायत नहीं की!

कोई दुश्मनी नही ज़िन्दगी से मेरी बस ज़िद्द है
की किसी के साथ नही जीना चाहता अब

हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में

अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती हैं

यूँ तो नहीं कि हमारी जरूरतों में शामिल तुम नहीं अब
बस अधूरापन ही रास आने लगा अब

भरी बरसात में उड़ के दिखा माहिर परिंदे
सूखे मौसम में तो तिनके भी सफ़र कर लेते हैं

मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...

छोड़ तो दिया मुझे पर कभी ये सोचा है तुमने
अब कभी झूँठ बोला तो कसमें किसकी खाओगे

हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में

अक्सर तन्हाई में सोच कर हँस देता हूँ की मुझे
सब याद है लेकिन मैं किसी को याद नही

नींद आए या ना आए चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना हमसे देखा नहीं जाता

हम दुश्मन को भी बड़ी पवित्र सज़ा देते हैं
हाथ नही उठाते बस नजरो से गिरा देते है