मुझे मालूम है मैं उस के बिना ज़ी नहीं सकता;उस का भी यही हाल है मगर किसी और के लिए।
मुझे मालूम है मैं उस के बिना ज़ी नहीं सकता;उस का भी यही हाल है मगर किसी और के लिए।
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया
दर्द अपने सीने का आखिर अब किससे कहा जाये
जिससे हमें कहना था उसको सुनना ही नहीं आता
हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे लिखी जाती है
दिल के छालों को कोई शायरी कहे तो परवाह नहीं; तकलीफ तो तब होती है जब कोई वाह-वाह करता है!
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िंदगी हमने,
सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते
किसे पता है कि किसने जमाने में क्या किया है
हर कोई खामोश रहता है अपने ही गुनाहों पे
पगली तु हमारे शौख का अंदाजा कया लगाओगी
हम तो मोरारी बापु की कथा भी वुफर मे सुनते है
सफर में मुश्किलें आऐ तो हिम्मत और बढ़ती है
ना बिकने का इरादा हो तो कीमत और बढ़ती है
दम नहीं किसी में जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है नेक इरादो को नहीं
तेरी चाहत का ऐसा नशा चढ़ा है की
शायरी हम लिखते है और दर्द पुरी की पूरी महफिल सहती है
ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूँ
मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता
शायरों की महफ़िलों में हम इसलिए भी जाते हैं
हम से बिछड़ कर शायद वो भी शायर हो गयी हो
मेरे मरने की खबर.....
उस तक पहुंचा देना,
शायद
उसके दिल को शकुन मिले।।।
एक मुसाफिर
सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता