डूबी हें मेरी उंगलिया मेरे हि लहू से
यह कांच के टुकड़ो पर भरोसा करने की सजा हें
G.R..s
डूबी हें मेरी उंगलिया मेरे हि लहू से
यह कांच के टुकड़ो पर भरोसा करने की सजा हें
G.R..s
जा रहा हूं दुनिया से तो कुछ लिख कर
जाते है
.
अपनी हथेली पर माँ लिख कर कब्र में सो
लोग बेवजह ढूँढते हैँ खुदखुशी के तरीके हजार
इश्क करके क्यूं नहीँ देख लेते एक बार
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा नही
Er kasz
बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में; कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती।
न जाने क्योेें कोसते हैं लोग बदसूरती को
बर्बाद तो अक्कर हसीन चहरे किया करते हैं
अजीब मुकाम पर ठहरा है काफिला जिंदगी का
सुकून ढूँढ़ने चले थे और नींद ही गँवा बैठे
इधर से आज वो गुज़रे तो मुँह फेरे हुए गुज़रे; अब उन से भी हमारी बे-कसी देखी नहीं जाती।
हद से बढ चुका है आपका नजर-अंदाज करना,,
ऐसा सलूक ना करो के हम भूलने पर मजबूर
हो जाए...!!
कुछ इन रोज़ो दिल अपना सख्त बे आराम रहता है; इसी हालत में लेकर सुबह से तो शाम रहता है।
हो जा मेरी कि इतनी मोहब्बत दूँगा तुझे
लोग हसरत करेंगे तेरे जैसा नसीब पाने के लिए
सीने पे तीर खाके भी अगर कोई मुस्कुरा दे तो
निशाना लाख अच्छा हो मगर बेकार जाता है......
क़दम क़दम पर सिसकी और क़दम क़दम पर आहें; खिजाँ की बात न पूछो सावन ने भी तड़पाया मुझे!
कितनी फिकर है क़ुदरत को मेरे तन्हाई की,
जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिये..
गुज़ारिशें थक न जायें कहीं मिन्नते करते करते
कभी तो दुआ की तरह आके तू थाम ले मुझे