मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी
मेरी पागल सी मोहब्बत तुम्हे बहुत याद आएगी
जब हँसाने वाले कम और रुलाने वाले ज्यादा होंगे
कितनी मासुम सी ख़्वाहिश थी इस नादांन दिल की
जो चाहता था कि शादी भी करूँ और ख़ुश भी रहूँ
Er kasz
किसी मूर्ख से कभी तर्क ना करें
अन्यथा लोग यह नहीं पहचान पाएंगे की वास्तव में मूर्ख कौन है
उसके ना होने से कुछ भी नहीं बदला मुझ में; बस जहाँ पहले दिल रहता था वहाँ अब सिर्फ दर्द रहता है।
आज उसने हमें एक और दर्द दिया तो हमें याद आया; कि दुआओं में हमने ही तो उसके सारे दर्द मांगे थे।
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ कि वो बेवफा थी,
वो उतनी ही वफ़ा, कर सकी जितनी उसकी औकात थी...
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना
तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है
कल रात मैंने अपने सारे ग़म कमरे की दीवारों पे लिख डाले
बस हम सोते रहे और दीवारें रोती रहीं
"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..
टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता है..
क्यों के उसे टूटने का दर्द मालूम होता है….!
गुड नाईट
ऐ जिन्दगी तु ही बता मैं तेरा गुनहेगार तो नहीं
फिर क्यू तु हमेशा मुझ से रूठी रूठी सी रहती है
सच्चे लोगों की तलाश अब छोड़ दी है मैंने
लोग तो बस वक्त बिताने और दिल जलाने के लिए मिलते हैं
शोख नहीं है मुझे फ़ोटो खिंचाने का, पर क्या करू, मेरी रानी को मेरा फ़ोटो देखे बिना नींद नहीं आती....