वादा करके और भी आफ़त में डाला आपने; ज़िन्दगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया।

ग़म्ज़ा नहीं होता कि इशारा नहीं होता; आँख उन से जो मिलती है तो क्या क्या नहीं होता।

हमें तो खैर कोई दूसरा अच्छा नहीं लगता; उन्हें खुद भी कोई अपने सिवा अच्छा नहीं लगता;

अनीस आसान नहीं आबाद करना घर मोहब्बत का; ये उन का काम है जो ज़िंदगी बर्बाद करते हैं।

जा रहा हूं दुनिया से तो कुछ लिख कर
जाते है
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अपनी हथेली पर माँ लिख कर कब्र में सो

Photo खींचने का शौख नही है मुजे पर क्या करु
मेरी परी को मेरा Photo देखें बीना नींद नहीं आती

अपनी तो यारो बस इतनी सी कहानी है; कुछ तो खुद से ही बर्बाद थे; कुछ इश्क की मेहरबानी है।

सरकार ढूंढ-ढूढ कर सिर्फ काले धन वालो को ही पकड़ रही है
काले मन वाले निश्चिन्त रहें

तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िंदगी हमने; सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते।

मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ; कोई मासूम क्यों मेरे लिए बदनाम हो जाए।

तेरा अंदाज़-ए-सँवरना भी क्या कमाल है; तुझे देखूं तो दिल धड़के ना देखूं तो बेचैन रहूँ।

तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदू; मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते हैं।

क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को रियाज़; मुझ से लिपटे हैं मिरे नाम से डरने वाले।

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के
ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले

इश्क़ करने में नही पूछी जाती जात मोहबत की; चलो कुछ तो है दुनिया में जो मज़हबी नहीं हुआ।