हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी; ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।

हक़ीक़त खुल गई हसरत तेरे तर्क-ए-मोहब्बत की; तुझे तो अब वो पहले से भी बढ़ कर याद आते हैं।

देख ली ना मेरे आँसू की ताकत तुमने
रात मेरी आँखें नम थी
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आज तेरा सारा शहर भीगा हैं ..

हवा खिलाफ थी लेकिन, चिराग भी क्या खूब जला
खुदा भी अपने होने के क्या क्या सबूत देता है

प्यार की तरह आधा अधूरा सा अल्फाज था मैं; तुमसे क्या जुडा ज़िंदगी की तरह पूरी गजल बन गया।

क्या हुआ अगर मेरे लब तेरे लब से लग गये
नाराज़ क्यूँ हो रही हो माफ़ ना करो तो बदला ही ले लो

"मै तेरी मजबूरिया समझता था इसलिए जाने दिया...
अब तु भी मेरी मजबूरिया समझ और वापस आ जा...!!"

मेरी यादों में तुम हो या मुझ में ही तुम हो; मेरे खयालों में तुम हो या मेरा ख़याल ही तुम हो।

कब तक होश संभाले कोई होश उड़े तो उड़ जाने दो; दिल कब सीधी राह चला है राह मुड़े तो मुड़ जाने दो।

मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती; ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता।

ज़िंदा रहे तो हर दिन तुम्हें याद करते रहेंगे; भूल गए तो समझ लेना खुदा ने हमें याद कर लिया।

वो दिल लेकर हमें बेदिल ना समझें उनसे कह देना; जो हैं मारे हुए नज़रों के उनकी हर नज़र दिल है।

कैसा सितम है आपका यह कि रोने भी नहीं देता; करीब आते नहीं और खुद से जुदा होने भी नहीं देता।

याद आयेगी मेरी तो बीते कल को पलट लेना
यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराता हुआ मिल जाऊंगा

बस इतना ही कहा था कि बरसो के प्यासे हैं हम; उसने अपने होठों पे होंठ रख के हमे खामोश कर दिया!