तुम पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी
क्योंकि हम यारों के तोहफ़े ठुकराया नहीं करते
तुम पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी
क्योंकि हम यारों के तोहफ़े ठुकराया नहीं करते
जनाजा रोक कर वो मेरा कुछ इस अन्दाज़ मे बोले; गली छोड्ने को कहा था तुमने तो दुनियां ही छोड दी।
वो लाख तुझे पूजती होगी मगर तू खुश न हो ऐ खुदा; वो मंदिर भी जाती है तो मेरी गली से गुजरने के लिए!
ये तेरे याद के बादल जो बसते हे इन आँखों में काजल की तरह
यूँ बेवजह बरस जाना तो इनकी आदत ना थी
हज़ार चेहरों में उसकी मुशाहबतें मिले मुझ को; पर दिल की ज़िद थी अगर वो नहीं तो उस जैसा भी नहीं।
सोचता हूँ कि कभी भी अब तुझे याद नहीं करूँगा; फिर सोचता हूँ एक ये फ़र्क़ तो रहने दो हम दोनों में।
वो खुद पर गरूर करते है तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं! जिन्हें हम चाहते है वो आम हो ही नहीं सकते!
जला कर शमा-ए-उल्फत आप ने फ़ौरन ही गुल कर दी; खुदारा ये तो बता दीजिये कि अब परवानों का क्या होगा!
वो खुद पर गरूर करते है तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं; जिन्हें हम चाहते है वो आम हो ही नहीं सकते।
सब भूल जाता हूँ आप के सिवा यह क्या मुझे हुआ है; क्या इसी एहसास को दुनिया ने इश्क़ का नाम दिया है।
मोहब्बत नहीं है क़ैद मिलने या बिछड़ने की; ये इन खुदगर्ज़ लफ़्ज़ों से बहुत आगे की बात है।
नजर झुका के बात कर पगली जीतने तेरे पास कपडे नही होन्गे
उतने तो मे रोज लफडे करता हुं
तेरी रूह का मेरी रूह से निकाह हो गया हो जैसे
तेरे सिवा किसी अौर को सोचूँ तो नाजायज़ सा लगता है
देखी जो नब्ज मेरी हँस कर बोला वो हकीम
जा जमा ले महफिल दोस्तों के साथ तेरे हर मर्ज की दवा वही है
हम तो बातो-बातो में दिल की बात कह
जाते हैं... और कई
लोग... गीता पर हाथ रख कर भी, सच नहीं
कह पाते है..!!