मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता; कहीं तू बढ़ भी सकता है कहीं तू मुझ से कम होगा।
मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता; कहीं तू बढ़ भी सकता है कहीं तू मुझ से कम होगा।
उस एक चेहरे ने हमें तन्हा कर दिया वरना; हम तो अपने आप में ही एक महफ़िल हुआ करते थे।
मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…
कहीं शेर ओ नग़्मा बन के कहीं आँसुओं में ढल के; वो मुझे मिले तो लेकिन कई सूरतें बदल के।
तलाश कर मेरी कमी को अपने दिल में अय दोस्त; दर्द हो तो समझ लेना कि महोब्बत अभी बाकी है।
कहीं शेर ओ नग़्मा बन के कहीं आँसुओं में ढल के; वो मुझे मिले तो लेकिन कई सूरतें बदल के।
दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त; हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते।
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन
तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है
हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे लिखी जाती है
वो मेरे दिल पर सिर रखकर सोई थी बेखबर; हमने धड़कन ही रोक ली कि कहीं उसकी नींद ना टूट जाए।
हमने कब माँगा है तुमसे वफाओं का सिलसिला; बस दर्द देते रहा करो मोहब्बत बढ़ती जायेगी।
मैं क़ाबिल-ए-नफ़रत हूँ तो छोड़ दो मुझको; मगर यूं मुझसे दिखावे की मोहब्बत ना किया करो।
उसे मैं ढाँप लेना चाहता हूँ अपनी पलकों में; इलाही उस के आने तक मेरी आँखों में दम रखना।
उसे मैं ढाँप लेना चाहता हूँ अपनी पलकों में; इलाही उस के आने तक मेरी आँखों में दम रखना।
चलो उसका नही तो खुदा का एहसान लेते हैं; वो मिन्नत से ना माना तो मन्नत से मांग लेते हैं।