हमारी सोच और लोगो कि सोच मे बस ईतना हि फर्क हे के
वो सरकारी आदमी बनना चाहते हे और हम सरकार

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं मेरी बुराई ना सुन सके

हमें पता था तेरी फितरत में है दगावाजी
हमने तो मौहब्बत ईसलिए कि थी शायद तेरी सोच बदल जाये

हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन,
अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को।।

सूरत नहीं देखी तेरी अरसे से
बस वो आखिरी बार का मुस्कुरा के मिलना आज भी जीने की वजह है मेरी

मेरी पागल सी मोहब्बत तुम्हे बहुत याद आएगी
जब हँसाने वाले कम और रुलाने वाले ज्यादा होंगे

लगी है मेहंदी पाँव मेँ क्या घूमोगे तुम गाँव मेँ
असर धूप का क्या जाने जो रहे अक्सर छाँव मेँ

"खूबसूरती से धोका न खाइये जनाब..
तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो...
मांगती तो........ खून ही हे"..

मोहब्बत छोड के हर एक जुर्म कर लेना
वरना तुम भी मुसाफिर बन जाओगे हमारी तरह इन तन्हा रातों के

उम्र और ज़िन्दगी में
फर्क बस इतना...
जो तेरे बिन बीति,
वो उम्र
जो तेरे साथ बीति,
वो ज़िन्दगी..

हम तो वैसे भी अकेले थे ये तेरा मेरा रिश्ता भी वेल्डिंग की तरह है
दोनों खूब जलते है जुड़ने के लिए

एक सुकून की तलाश मे जाने कितनी बेचैनियां पाल ली
और लोग कहते है हम बडे हो गए हमने जिंदगी संभाल ली

जरूरी नही हर समय जुबा पर भगवान का नाम आये |वो लम्हा भी भक्ति का होता हैजब इन्सान इन्सान के काम आये ||

मुझे हाथ की रेखाओं पर इसीलिए विश्वास नहीं है
कैद ये मेरी मुठ्ठी में है क्या खोलेगी किस्मत मेरी

हम तो हँसते हैं दूसरो को"हंसाने की खातिर"..
दोस्तों
वरना "दिल पे ज़ख़्म" इतने हैं क रोया भी नहीं जाता