एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर

आसमां में मत ढूँढ अपने सपनों को
सपनों के लिए तो ज़मीं जरूरी है
सब कुछ मिल जाये तो जीने का क्या मजा
जीने के लिए कुछ कमी भी तो जरूरी है..

दर्द जितना है मेरी निगाहों मे ना दे खुदा किसीकि रहो मे
बिताना चाहते थे ज़िंदगी जिनकी बाहों मे
शायद मौत भी ना मिल पाएगी उनकी पनाहो मे

जो जितना दूर होता है नज़रो से उतना ही वो दिल के पास होता है
मुस्किल से भी जिसकी एक ज़लक देखने को ना मिले वही ज़िंदगी मे सबसे ख़ास होता है

छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह, कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे;
मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह, कि होश भी आने की इजाज़त मांगे!

आँखों के सामने हर पल आपको पाया हैं
अपने दिल में भी सिर्फ आपको ही बसाया हैं
आपके बिना हम जिए भी तो कैसे
भला जान के बिना भी कोई जी पाया हैं

संगे मरमर की तू बात न कर मुझसे..!!
मैं अगर चाहूँ तो एहसास-ऐ-मोहब्बत लिख
दु..!!
ताज महल भी झूक जाएगा चूमने के लिए...!!
में जो एक पथर पे
“Tera Naam " लिखदु....!!

भीड़ में भी महसूस होती है तन्हाई
अँधेरे में दिखती है तुम्हारी पडछाई
तुम क्या समजोगे हमारे प्यार की सच्चाई
सागर से भी गहरी हो जिसकी गहराई

हो सकता है उसने अनजाने मे हमे रूला दिया

उसने दुनिया के कहने पे हमे भूला दिया है

हम तो वैसे भी एकेले थे क्या हूआ अगर किसी ने एहसास दिलाया है

जिन्‍दगी की राहों में बहुत से यार मिलेगें हम क्‍या हमसे भी अच्‍छे हजार मिलेगें
इन अच्‍छों की भीड में हमे ना भूला देना हम कहॉ आपको बार बार मिलेगें

तु मुझसे बात नहीं करती इसका मुझे कोइ अफसोस नहीं
अफसोस तो तुझे होगा जिस दिन तुझे पता चल जाएगा कि
मैने पंजे और छ्क्के के पिछे अपना ईक्का गवां दिया

लड़के की जमकर पिटाई करने के बाद
लोगो ने लडकी और उसकी स्कूटी को
उठा कर पूछा....
कहीं चोट तो नहीं लगी..?
लडकी- नहीं! रोज का काम है
स्कुटी सीख रही हूं।

दो दिलो की मोहब्बत से जलते हैं लोग;
तरह-तरह की बातें तो करते हैं लोग;
जब चाँद और सूरज का होता है खुलकर मिलन;
तो उसे भी "सूर्य ग्रहण" तक कहते हैं लोग!

इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है
इश्क मेरी रुह तो दोस्ती मेरा ईमान है
इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी पर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान है
er kasz

" बुलबुल के परो में बाज़ नहीं होते,
कमजोर और बुजदिलो के हाथो में राज नहीं होते ,
जिन्हें पड़ जाती है झुक कर चलने की आदत ,
उन सिरों पर कभी ताज नहीं होते। "