ये कलम आज थोड़ी रूठी सी लग रही है
आओ भरे उसे थोड़े जज्बातों की स्याही से
ये कलम आज थोड़ी रूठी सी लग रही है
आओ भरे उसे थोड़े जज्बातों की स्याही से
इतना भी बेदर्द ना बन हमदम मेरे
कभी तो अपना समझा था तुने भी दिल को मेरे
समय बहाकर ले जाता है नाम और निशान
कोई वहम में रह जाता है और कोई अहम में
वो अपने कर्मों को उंगलियों पर गिनते है; ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं।
दिल की आवाज से नगमें बदल जाते हैं.:
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साथ ना दें तो अपने बदल जाते हैं..
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लड़की ढूंढनी होती तो कबकी ढूँढ लेते….
हम तो बादशाह है रानी ही ढूंढेग!.
चीर कर बहा दो लहू, दुश्मन के सीनेका...
यही तो मजा है, हिन्दू होकर जीने का..!!!
लड़कियां भले ही आईफोन 6 ले ले दोस्तो
पर आना हम लडको के पास मिस कॉल ही है
मुद्दते बीत गई ख्वाब सुहाना देखे; जगता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा!
अभी महफ़िल में चेहरे नादान नज़र आते हैं; लौ चिरागों की ज़रा और घटा दी जाये।
लफ्ज...अल्फाज...कागज़ और किताब...!
कहां- कहां रखा हमने तेरी यादों का हिसाब...!!
पगली ब्लाक कर के तो चली गई
पर आज भी मेरे पेज के स्टेटस पढ़ के ही सोती है.
हिलते लबो को तो दुनिया जान लेती हैं..
मुझे उसकी तलाश है जो ख़ामोशी पढ़ ले..!
नज़र-नज़र का फर्क है, हुस्न का नहीं ;
महबूब जिसका भी हो बेमिसाल होता है !!
हिलते लबो को तो दुनिया जान लेती हैं..
मुझे उसकी तलाश है जो ख़ामोशी पढ़ ले..!