हमको मिटा सके यह ज़माने में दम नहीं; हमसे ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
हमको मिटा सके यह ज़माने में दम नहीं; हमसे ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।
सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम।
किसी ने समेटा भी तो सिर्फ जलाने के लिए।
मेरे सवाल पे तेरा मूँह फेर कर चले जाना,
तेरे जवाब का भी तेरी तरह जवाब नहीं...
कभी भी ख़ुशी मे शायरी नहीं लिखी जाती है ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है....!!
इसे इत्तिफ़ाक़ समझो या मेरे दर्द की हकीक़त; आँखे जब भी नम हुई वजह तुम ही निकले।
उसके होंठों पे कभी बददुआ नहीं होती; बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती।
वो जो औरों को बताता है जीने के तरीके ,
खुद मुट्ठी में मेरी जान लिए फिरता है .
इक तर्ज़-ए-तगाफुल है सो वह उनको मुबारक; इक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगे।
रास आने लगी दुनिया तो कहा दिल ने कि जा; अब तुझे दर्द की दौलत नहीं मिलने वाली।
"ऐसा कोई शहर नही जहा हमारा कहर नहीँ..,
ऐसी कोई
गली नही जहा हमारी चली नहीं.."
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी; जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी।
इश्क मुहब्बत क्या है मुझे नही मालूम बस
तुम्हारी याद आती है सीधी सी बात है
तुम मेरे रास्तों को नहीं मोड़ सकते
क्यों की मैं मोड़ पर ही रास्ता बनाता हूँ
क्या ख़ूब कहा है ग़ालिब ने; ऐ चाँद तू किस मज़हब का है; ईद भी तेरी करवाचौथ भी तेरा।
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हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई ...!!!