वक्त का तकाजा हर फर्ज़ को मजबूर करता है
वरना कौन पिता अपनी चाँद सी बेटी को अपने से दूर करता है
वक्त का तकाजा हर फर्ज़ को मजबूर करता है
वरना कौन पिता अपनी चाँद सी बेटी को अपने से दूर करता है
हम तो बातो-बातो में दिल की बात कह
जाते हैं... और कई
लोग... गीता पर हाथ रख कर भी, सच नहीं
कह पाते है..!!
कुछ खवाब सुहाने टुट गऐ
कुछ यार पुराने रूठ गऐ
कुछ जख्म लगे थे चहरे पर
कुछ अन्दर से हम टुट गऐ
देखी जो नब्ज मेरी हँस कर बोला वो हकीम
जा जमा ले महफिल दोस्तों के साथ तेरे हर मर्ज की दवा वही है
मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे बुलंद इरादे,
मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाँथों कि लकीरों कि !!!
आंसु निकल पड़े ख्वाब मैं तुझे दुर जाता देख कर,
ऑख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रूलाता है..!!
तुम्हे उल्फ़त नही मुझसे मुझे फुर्सत नही तुम से
अजीब शिकवा सा रहता है तुम्हे मुझसे मुझे तुम से
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें
इतने मासूम से खरीदार से क्या लेना देना
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग...
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जब "रूह" निकल जाएगी तो कफन हटा-हटा कर देखेंगे लोग.......
जिसको गलत तस्वीर दिखाई उसको ही बस खुश रख पाया
जिसके सामने आईना रक्खा हर शख्स वो मुझसे रूठ गया
परेशानी में कोई सलाह मांगे तो सलाह के साथ अपना साथ भी देना
क्योकि सलाह गलत हो सकती है साथ नहीं
वक़्त और दोस्त मिलते तो मुफ्त हैं ,
लेकिन उनकी कीमत का अंदाज़ा तब होता हैजब ये कहीं खो जाते हैं.
सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है "
माना की लीखना कोई बहादुरी की
शान नहीं हैं, पर यारो, थोडा रहम करो,
मेरी कोई status की दुकान नहीं हैं ।
अभी तो जरा वक़्त है उनका हमें आजमाने दो उनको
रो रो कर पुकारेंगें हमे जरा हमारा वक़्त तो आने दो