शायरी वो नही लिखते हैं जो शराब से नशा करते हैं..♡
शायरी तो वो लिखते हैं जो यादों से नशा करते हैं..♡♡♡
शायरी वो नही लिखते हैं जो शराब से नशा करते हैं..♡
शायरी तो वो लिखते हैं जो यादों से नशा करते हैं..♡♡♡
याद करता हूँ तो शराब भी साथ छोड़ देती है
हँस के कहती है बस कर अब पगले ये गम मिटाना मेरे बस की बात नहीं
मोहब्बत के हर रास्ते में दर्द ही दर्द मिलेगा
मैं सोच रहा हु उस रास्ते पर मेडिकल खोल लू मस्त चलेगा
मेरी शायरी मेरे तजुरबो का इज़हार है और कुछ भी नहीं
सोचता हूँ की कोई तो संभल जाएगा मुझे पढने के बाद
उसने तो कर ही लिए किनारे कामिल से कुछ इस कदर
तदबीरें सकून की सीखनी पढ़ें किन्ही गैरों से ख़ुदा न करे
रात पूरी जाग कर गुजार दूं तुम्हारी खातिर
एक बार कह के तो देखो कि तुम्हे भी मेरे बिना नींद नहीं आती
सोचते हैं, जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें,
इतने मासूम से खरीदार से क्या लेना देना..
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते
मर गऐ पर खुली रही आँखें
इससे ज्यादा किसी का इंतज़ार क्या करते
जहाँ से तेरा मन चाहे वहा से मेरी जींदगी को पढ ले
पन्ना चाहे कोई भी खुले हर पन्ने पर तेरा ही नाम होगा
"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे, शमशान में पिया करूंगा, जब खुदा मांगेगा हिसाब, तो पैग बना कर दिया करूंगा"
हम तो निकले थे तलाशे इश्क में अपनी तनहाईयों से लड़ कर
मगर गर्मी बहुत थी गन्ने का रस पी के वापिस आ गए
हर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख़्स का
जो कभी कहा करता था तुमसे बात न करूँ तो रात भर नींद नहीं अाती
दर्द दिलों के कम हो जाते
मैं और तुम अगर हम हो जाते
कितने हसीन आलम हो जाते
मैं और तुम गर हम हो जाते
एक नफरत ही है जिसे दुनिया लम्हों में ही जान जाती है; वरना चाहत का पता लगाने में तो ज़माने बीत जाते हैं।
हर मुस्कुराहट से सरगरनी है; क्या यही आलिम जवानी है; आ तुझे एक राज़ बतलाऊं मैं भी फ़ानी हूँ तू भी फ़ानी है।