खेलने दो उन्हे जब तक जी न भर जाए उनका
मोहब्बत चार दिन कि थी तो शौक कितने दिन का होगा

शायरी छोड़ दी तो भूलने लगी ​ हैं दुनिया​;​​​​​जब लिखते थे शायरी तो एक नाम था अपना​।

मालूम है दुनिया को ये हसरत की हक़ीक़त; ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।

अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक़सर​; न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है...

मालूम है दुनिया को ये हसरत की हक़ीक़त; ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।

कौन कहता है दुनिया में भले लोग नहीं रहे
मेरा पडोसी हमेशा वाई-फाई नेटवर्क Open रखता है

तालीम नहीं दी जाती परिंदों को उड़ानों की; वह तो खुद ही समझ जाते हैं ऊंचाई आसमानों की।

इश्क के रिश्ते भी बड़े नाजुक होते है दोस्तो,
रात को नम्बर बिजी आने पर भी टूट जाते है..

जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों
यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा

तेरे दीदार की तलाश में आते है तेरी गलियों में ...
वरना आवारगी के लिए पूरा शहर पड़ा हे ।

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के
ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले

तुझे जींदगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है..

तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था
शायद तूने वक्त गूजारा था हमने जिन्दगी गुजार दी

मज़हब दौलत ज़ात घराना सरहद ग़ैरत खुद्दारी
एक मुहब्बत की चादर को कितने चूहे कुतर गए

क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को रियाज़ ; मुझ से लिपटे हैं मेरे नाम से डरने वाले।