​​चढ़ती थीं उस मज़ार पर चादरें बेशुमार;​​​बाहर बैठा कोई फ़क़ीर सर्दी से मर गया​।

पलकें भिगोना लाजमी नहीं उस शख्स की याद में
जिसने तुझे अपनों में कभी गिना ही ना हो

मशरूफ थे सब अपनी ज़िंदगी की उलझनो में
ज़रा सी ज़मीन क्या हिली सबको खुदा याद आ गया

कहाँ से लाएँ अपनी बेगुनाही के पक्के सबूत
दिल दिमाग नजर सब कुछ तो तेरी कैद में हैं

उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक हैं मेरा !!
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है !!

हाल पुछ लूं तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी
कमबख़्त जब भी सुनी है मुहब्बत ही हुई है

हजारो हसिनाये आऐगी और हजारो जाऐगी
पर इस बादशाह के दिल की रानी तू है और तू ही रहेगी

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर जाने नहीं देते

अब कहा जरुरत है हाथों मे पत्थर उठाने की
तोडने वाले तो जुबान से ही दिल तोड देते हैं

जरा देखो तो ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है
अगर इश्क हो तो कहना अब दिल यहाँ नही रहता

ऐ इश्क़ दिल की बात कहूँ तो बुरा तो नहीं मानोगे
बड़ी राहत के दिन थे तेरी पहचान से पहले

दिल के मंदिरों में कहीं बंदगी नहीं करते; पत्थर की इमारतों में खुदा ढूंढ़ते हैं लोग।

मेरी हँसी में भी कई ग़म छुपे हैं डरता हूँ
बताने से कहीं सबका प्यार से भरोसा न उठ जाए

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम जान तो दे देते हैं मगर जाने नहीं देते

दोस्तों कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है
पर रोटी की साईज लगभग सब घर मे एक जैसी ही होती है