उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझायी हुई कलियां; न तुम आये तो यूँ जश्न-ए-बहारा कर लिया मैंने।
उठा कर चूम ली हैं चंद मुरझायी हुई कलियां; न तुम आये तो यूँ जश्न-ए-बहारा कर लिया मैंने।
मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता
मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग
मेरी खामोशियो से नाराज न हुआ कीजिये
हालात से हारे हुए लोग अक्सर खामोश ही रहा करते
हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता...
माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं लेकिन
तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है
बस इतना सा असर होगा हमारी यादो का कि
कभी तुम बिना बात रोओगे और बिना बात मुस्कुराओग
मेरी कहानी खत्म हो तो कुछ ऐसे खत्म हो की
लोग रोने लगे मेरे लिए तालियाँ बजाते बजाते
चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही
लेकिन रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं
रात भर चलती रहती है उँगलियाँ मोबाइल पर
किताब सीने पे रखकर सोये हुए एक जमाना हो गया
जो तेरी चाह में गुज़री वही ज़िन्दगी थी
उस के बाद तो बस ज़िन्दगी ने गुज़ारा है मुझे
हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे लिखी जाती है
दम नहीं किसी में जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है नेक इरादो को नहीं
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िंदगी हमने,
सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते
जरुरत तोड़ देती है इंसान के सारे गुरुर को
न होती कोई मज़बूरी तो हर बन्दा खुदा होता है