हमसफ़र तो साथ-साथ चलते हैं; रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं; आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में; जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं।
हमसफ़र तो साथ-साथ चलते हैं; रास्ते तो बेवफ़ा बदलते हैं; आपका चेहरा है जब से मेरे दिल में; जाने क्यों लोग मेरे दिल से जलते हैं।
अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता! तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता! यह तो करिश्मा है मोहब्बत का! वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता!
इस से पहले कि दिलो में नफरत जागे! आओ एक शाम मोहब्बत में बिता दी जाये! करके कुछ मोहब्बत की बातें! इस शाम की मस्ती बड़ा दी जाये!
लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं; खुद को मदहोश किये बैठा हूँ मैं; जान बाकी है वो भी ले लीजिये; दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं।
हर बार दिल से ये पैगाम आए; ज़ुबाँ खोलूं तो तेरा ही नाम आए; तुम ही क्यूँ भाए दिल को क्या मालूम; जब नज़रों के सामने हसीन तमाम आए|
दूरियों की ना परवाह कीजिये; दिल जब भी पुकारे बुला लीजिये; कहीं दूर नहीं हैं हम आपसे; बस अपनी पलकों को आँखों से मिला लीजिये।
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है! दिल न चाह कर भी खामोश रह जाता है! कोई सब कुछ कहकर प्यार जताता है! कोई कुछ न कहकर भी सब बोल जाता है!
ना रूठना हमसे हम मर जाएंगे; दिल की दुनिया तबाह कर जाएंगे; प्यार किया है हमने कोई मज़ाक नहीं; दिल की धड़कन तेरे नाम कर जाएंगे।
कुछ चेहरे भुलाए नहीं जाते; कुछ नाम दिल से मिटाए नहीं जाते; मुलाक़ात हो न हो अय मेरे यार; प्यार के चिराग कभी बुझाए नहीं जाते।
दर्द कितना खुशनसीब है जिसे पा कर लोग अपनों को याद करते हैं
दौलत कितनी बदनसीब है जिसे पा कर लोग अक्सर अपनों को भूल जाते है
आँसू आ जाते हैं आँखों में; पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है; ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो; जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है।
उदास नहीं होना क्योंकि मैं साथ हूँ! सामने न सही पर आस-पास हूँ! पल्को को बंद कर जब भी दिल में देखोगे! मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ!
आँखों में इश्क़ लब पे ख़ामोशी; अंदाज़ में इकरार जिस्म में इंकार; कहाँ जाएं मोहब्बत करने वाले; एक तरफ जन्नत दूसरी तरफ जहन्नुम।
कुछ सोचूं तो तेरा ख्याल आ जाता है; कुछ बोलूं तो तेरा नाम आ जाता है; कब तक छुपाऊँ दिल की बात; उसकी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है।
चाहत के ये कैसे अफ़साने हुए; खुद नज़रों में अपनी बेगाने हुए; अब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमें; इश्क़ में तेरे इस कदर दीवाने हुए।