हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें; दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें।

रोने से अगर सवर जाते हालात किसी के
तो मुझसे ज्यादा खुशनसीब कोई और नही होता

मरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिम; महसूस तो हो कि तुम हमें अभी भूले नहीं हो।

जो निखर कर बिखर जाये वो कर्तव्य है
और जो बिखर कर निखर जाए वो व्यक्तित्व हैं

मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं
चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए

बुलंदी तक पहुंचना चाहता हूँ मै भी
पर गलत राहो से होकर जाऊ इतनी जल्दी भी नही

खता उनकी भी नही यारो वो भी क्या करते
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते

🙏चले जाऐंगे तुझे तेरे हाल पर छोड कर, कदर क्या होती हे ये तुझे वक्त बता देगा। 🙏

इतना भी इख्तियार नहीं मुझको वज़्म में; शमाएँ अगर बुझें तो मैं दिल को जला सकूँ।

ख्वाईशे कम पड गई तो ख्वाबो को जुटा दीया,
कुछ वो लुट गए कुछ हमने खुद लुटा दिया !

रफ़्तार कुछ इस कदर तेज़ है जिन्दगी की; कि सुबह का दर्द शाम को पुराना हो जाता है।

मेरे दिल की हालत भी मेरे वतन
जैसी है...
जिसको दी हुकुमत उसी ने बर्बाद
किया...

मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नही

मनुष्य की इच्छाओ में से यदि आधी भी पूर्ण
हो जाए तो उसकी मुसीबते दुगनी हो जाए

मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की
तभी तो थोड़ा महकता हूँ थोड़ा बहकता हूँ