एक बै ऎक छोरी का बाबु म्हारे घरा उलहाना ले कै आया क थारा छोरा म्हारी छोरी नै छेडै है
मेरी दादी बोली जिसी थारी छोरी की शकल है उसते सुथरी तै म्हारी काटडी है
यो उसते तो कदे पानी नी प्याता थारी छोरी नै
कित छेडे था
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एक बै ऎक छोरी का बाबु म्हारे घरा उलहाना ले कै आया क थारा छोरा म्हारी छोरी नै छेडै है
मेरी दादी बोली जिसी थारी छोरी की शकल है उसते सुथरी तै म्हारी काटडी है
यो उसते तो कदे पानी नी प्याता थारी छोरी नै
कित छेडे था
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