चाल-चलण के घटिया देखे बङे बङे बङबोले लोग।
भारी भरकम दिखण आळे थे भीत्तर तैं पौल्लेे लोग।
जीवन भर तो खूब सताया खूब करया मेरा अपमान।
अरथी पै जब लेकर चाल्ये "बङा भला था" बोले लोग।
रामायण मैं न्यू फरमैं गे तुलसी दास करम की महमा।
इंदर का सिंहासन डौल्या जिब आस्सण तैं डौल्ले लोग।
कथनी अर् करणी का अंतर पाया पैसंग और धङे का।
दुनिया नैं हम नाप्पे तौल्ले हम नै नाप्पे तौल्ले लोग।
सबतैं भारी एक अचम्भा इस दुनिया मैं हमनै देख्या।
उसनै लौग्गां का दम घौट्या जिसकै पंखा झौल्लैं लोग।
सिर मुंडवाया औळे पङगे पता नहीं पाट्या पगङी का।
"कंवल" औढले टोपी सिर पै मारैंगे ईब ठौल्ले लोग।

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