कौरव और पांडव बीच बड़ा ही घमासान युद्ध चल रहा था कि तभी दुर्योधन की नज़र पांडवों के पीछे खड़े आदमी पर पड़ी। दुर्योधन: चल यार युधिष्टिर बाय यार हमने नहीं लड़ना तुम्हारे साथ। युधिष्ठिर: क्या हुआ? दुर्योधन: नहीं यार बस बाय ले यार तू अपना हस्तिनापुर भी वापस ले ले और द्रौपदी भाभी से हम खुद जाकर सॉरी कह देंगे हमने नहीं लड़ना तुम्हारे साथ तू खुश रह। युधिष्ठिर: अबे रुक तो सही? दुर्योधन: नहीं यार भाई बस माफ़ कर तू हमें और जाने दे। युधिष्ठिर: यार दुर्योधन भाई नहीं है तू मेरा बता तो सही हुआ क्या? दुर्योधन: कुछ नहीं यार भाई बात ही खत्म ना कोई चिंता ना कोई फ़िक्र मज़े ही मज़े। युधिष्ठिर: नहीं पहले बता प्लीज़ तुझे मेरी कसम क्या हुआ बता ना? दुर्योधन: बस रहने दे यार साला ज़रा सी बात थी और तूने रजनीकांत को बुला लिया।

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