बंता अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने पहाड़ी पर चला गया दिन में इधर उधर घूम कर मस्तियाँ करते रहे फिर वापिस अपनी रहने वाली जगह की तरफ चल पड़े! बंता ऐसे ही एक सुन्दर नज़ारे को देखने लगा उसे वह इतना सुन्दर लगा कि वह थोड़ी देर वहीँ पर बैठ गया! उसके बाकी साथी काफी दूर निकल गए थे वह रास्ता भटक गया वह चलते चलते ऐसी जगह पहुँच गया जहाँ एक झरना गिर रहा था! वह उस झरने को देखने के लिए उसके नजदीक जाने लगा जाते हुए उसे इस बात का कोई पता नही चला कि वह वहां कैसे पहुंचा पर जब वह वापिस आने लगा तो वह वहां फंस गया! उसने निकलने की काफी कोशिश की पर वह नही निकल पाया वह ऐसी जगह पर खड़ा था जहाँ से अगर वह गिरता तो लगभग 100 फुट की खाई में जा गिरता! जब वह निसहाय हो गया तो वह डर के मारे जोर से चिल्लाने लगा अरे ...कोई मेरी मदद करो? पर उसकी सहायता के लिए कोई भी नही आया! वह फिर से पुकारने लगा अरे भाई वहां ऊपर कोई है? उसे एक बड़ी गहरी सी आवाज सुनाई दी हाँ ...मैं हूँ! बंता ने कहा अरे कौन है भाई? ऊपर से आवाज आई मैं भगवान बोल रहा हूँ! बंता: क्या आप मेरी मदद करेंगे? हाँ बिल्कुल! मैं तुम्हारी मदद करूँगा क्या तुम मुझ पर विश्वास करते हो! बंता मेरी सहायता करो वह बुरी तरह से घबरा गया था! तो फिर ...क्या तुम मुझ पर विश्वास करते हो मैं तुम्हें बचा लूँगा! बंता अरे भाई तुम रहने दो ......कोई और है क्या ऊपर?

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