मरने के बाद संता और बंता नरक में पहुंचे वहां यमदूत ने उनका स्वागत किया और नरक की सैर कराई यमदूत ने बताया कि यहां तीन तरह के नरक-कक्ष है और उन्हें अपनी पसन्द का कक्ष चुनने की आजादी है! पहला कक्ष आग की लपटों और गर्म हवाओं से इस कदर भरा हुआ था कि वहां सांस लेना भी दूभर था संता ने कहाः ओए बंतया.. यहां रहकर तो हमारी हालत ही खराब हो जाएगी... चल कोई दूसरा रूम देखते हैं... यमदूत उन्हें दूसरे नरक कक्ष में ले गया यह कक्ष सैंकड़ों आदमियों से भरा हुआ था वहां बेहद गर्मी थी और धुआं फैला हुआ था चारों ओर चीख पुकार का माहौल था संता और बंता यह सब देखकर घबरा गए और उन्होंने यमदूत से कोई और कक्ष दिखाने की प्रार्थना की! तीसरा और अंतिम कक्ष ऐसे लोगों से भरा हुआ था जो बस आराम कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे यहां अन्य दो कक्षों जैसी कष्टदायक कोई बात नहीं दिखाई दी! संता ने कहाः अरे बंतया यह जगह हमारे लिए सही लगेगी इस यमदूत को मना लेते है और यहीं अपनी जगह पक्की कर लेते हैं! उन्होंने यमदूत से बात की और यमदूत मान गया वह उन दोनों को वहीँ छोड़कर वापिस चल पड़ा! संता और बंता ने एक-एक कॉफी ली और आराम से एक तरफ बैठ गए! कुछ मिनटों बाद लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजीः ब्रेक टाइम खत्म हुआ अब फिर से दस हजार घूंसे और लातें खाने के लिये तैयार हो जाओ!

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