एक बार जंगल में कुछ लोग हवन कर रहे थे। देवताओं को खुश करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से मंत्र पढ़े जा रहे थे लेकिन अचानक ही वहाँ एक राक्षस प्रकट हो गया। लपलपाती आग उगलती जिव्हा और खून से सने उसके लंबे नुकीले दाँत उसे बहुत ही भयानक बना रहे थे। चारों तरफ भगदड़ मच गई। जिसे जैसी जगह दिखी भाग निकला। कुछ ही पलों में सब खाली हो गया। इस सब में एक व्यक्ति वहीँ बैठा हुआ था। राक्षस गरजते हुए उसके पास पहुंचा और पूछा तुम जानते नहीं मैं कौन हूँ? उस व्यक्ति ने कहा हाँ मैं जानता हूँ। तुम कुम्भीपाक नर्क के राक्षस हो। राक्षस ने गरजते हुए आग उगली और फिर पूछा तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता? उस व्यक्ति ने जवाब दिया नहीं बिलकुल भी नहीं। यह सुनकर गुस्से में पागल राक्षस बोला अब कोई भी तुम्हारी रक्षा नहीं कर पायेगा मूर्ख! ये बता तुझे मेरा भय क्यों नहीं है? उस व्यक्ति ने उसी शान्ति से जवाब दिया क्योंकि मैं पिछले पच्चीस वर्षों से शादीशुदा हूँ और मेरी बीवी तुमसे भी भयानक है!

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