सब लोग हिंदी को प्रोत्साहित कर रहे हों इसलिए मुझे भी आज हिंदी बोलने का शौक हुआ घर से निकला और एक ऑटो वाले से पूछा त्री चक्रीय चालक पूरे सुभाष नगर के परिभ्रमण में कितनी मुद्रायें व्यय होंगी? ऑटो वाले ने घूर कर मेरी तरफ देखा और बोला अबे हिंदी में बोल। मैंने कहा श्रीमान मै हिंदी में ही वार्तालाप कर रहा हूँ। ऑटो वाले ने कहा मोदी जी पागल करके ही मानेंगे। चलो बैठो कहाँ चलोगे? मैंने कहा परिसदन चलो। ऑटो वाला फिर चकराया अब ये परिसदन क्या है? बगल वाले श्रीमान ने कहा अरे सर्किट हाउस जाएगा ऑटो वाले ने सिर खुजाया और बोला बैठिये प्रभु। रास्ते में मैंने पूछा इस नगर में कितने छवि गृह हैं? ऑटो वाले ने कहा छवि गृह मतलब? मैंने कहा चलचित्र मंदिर। उसने कहा यहाँ बहुत मंदिर हैं...राम मंदिर हनुमान मंदिर जगन्नाथ मंदिर शिव मंदिर। मैंने कहा भाई मैं तो चलचित्र मंदिर की बात कर रहा हूँ। जिसमें नायक तथा नायिका प्रेमालाप करते हैं। ऑटो वाला फिर चकराया ये चलचित्र मंदिर क्या होता है? यही सोचते सोचते उसने सामने वाली गाडी में टक्कर मार दी। ऑटो का अगला चक्का टेढ़ा हो गया। मैंने कहा त्री चक्रीय चालक तुम्हारा अग्र चक्र तो वक्र हो गया। ऑटो वाले ने मुझे घूर कर देखा और बोला उतर जल्दी उतर! चल... भाग यहाँ से। तब से यही सोच रहा हूँ अब और हिंदी बोलूं या नहीं?
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