एक टोपी बेचने वाला दरख्त के नीचे आराम कर रहा था की अचानक कुछ बंदर उसकी सारी टोपियाँ उठा कर ले गए! इन्सान की नक़ल करते बंदर को ख्याल आया तो आदमी ने अपनी टोपी उतार के नीचे फेंकी तो बंदरो ने भी वैसा ही किया! और आदमी अपनी टोपियाँ उठा के चला गया घर जाकर उसने ये वाकया अपने पोते को सुनाया! इत्तिफाक से सालों बाद पोता भी टोपियाँ बेचते हुए उस दरख्त के नीचे आ बैठा और बंदर फिर टोपियाँ ले गए! उसे अपने दादा की सुनाई हुई कहानी याद आई और उसने अपने सिर की टोपी उतार कर नीचे फ़ेंक दी! एक बन्दर पेड़ से नीचे आया उसने टोपी को उठाया और आदमी को एक थप्पड़ मार कर बोला! अबे तू क्या सोचता है क्या हमारा दादा हमको कहानी नही सुनाता होगा!

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