एक बार बंता ने संता से कहा तुम्हारे खुशहाल वैवाहिक जीवन के पीछे क्या राज है? संता ने कहा हमें अपने जीवन साथी के साथ प्यार से जिम्मेवारियां बाँटनी चाहिए एक दूसरे का आदर करना चाहिए तब कोई समस्या नहीं रहती! बंता ने कहा क्या तुम थोड़ा खुल कर बता सकते हो? संता ने कहा जैसे मेरे घर में सारे बड़े मुद्दों पर में ही निर्णय लेता हूँ जबकि सारी छोटी छोटी बातों के निर्णय मेरी बीवी लेती है हम एक दूसरे के निर्णयों पर कभी हस्तक्षेप नहीं करते! मैं कुछ समझा नहीं! बंता ने कहा थोड़ा उदाहरण दे कर बताओ संता ने कहा छोटी छोटी बातें जैसे हमें कौन सी कार खरीदनी है कितना पैसा बचाना है कब घर जाना है कब बाजार जाना है कौन सा सोफा एयर कंडिशनर कौन सा रफ्रिज्रेटर खरीदना है महीने का खर्चा नौकरानी रखनी है या नहीं वगैरा वगैरा! मेरी पत्नी ही इन सबका निर्णय लेती है मैं उसके निर्णयों से सहमत हो जाता हूँ! बंता ने पूछा तब तुम्हारी क्या भूमिका है? संता ने कहा मेरे निर्णय हमेशा बड़े मुद्दों पर होते हैं जैसे अमेरिका को इराक पर हमला करना चाहिए क्या अफ्रीका को अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ानी चाहिए क्या सचिन को सन्यास लेना चाहिए वगैरा वगैरा तुम्हें ये सुनकर हैरानी होगी कि मेरी बीवी कभी भी मेरे फैसलों का विरोध नहीं करती!

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