वह दिन भी कैसे थे जब मच्छर भगाने के लिए रात में किसी तरह कि सुविधा नही थी और लोगों को सारी रात जाग कर काटनी पड़ती! संता भी इसी तरह की रातें गुजारा करता एक दिन वह सोने की कोशिश कर रहा था कि उसके कान के पीछे एक मच्छर आया और उसकी नींद में विघ्न डाल दिया! मच्छर कान के पीछे लगातार गू.आ.आ.ऊँ.ऊँ गू...आ...आ...ऊँ...ऊँ कर रहा था! संता को बहुत गुस्सा आया और वह उठकर बैठ गया उसने हवा में इधर-उधर हाथ मारे पर उसके हाथ मच्छर नही लगा! काफी कोशिश के बाद उसने मच्छर को अपने हाथ में पकड़ लिया उसे मच्छर पर बड़ी दया आयी उसने उसे मारा नही पर उससे बदला लेने का फैसला किया! उसने मच्छर को हाथ पर सुलाया और लोहरी गाने लगा सो जा मच्छर बेटे ..सो जा थोड़ी देर में उसने देखा कि मच्छर उसके हाथ पर सो गया है तब संता चुपके से उसके नजदीक गया और गू.आ.आ.ऊँ.ऊँ गू...आ...आ...ऊँ...ऊँ करने लगा!

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