सो सुख पा कर भी सुखी नहो;पर एक ग़म का दुःख मनाता है;तभी तो कैसी करामात है कुदरत की;लाश तो तैर जाती है पानी में;पर ज़िंदा आदमी डूब जाता है!

Your Comment Comment Head Icon

Login