दो बूढ़े आदमी संता और बंता रोजाना शाम को एक पार्क में मिलते थे वहां वे कुछ देर साथ-साथ घूमते सुख दु:ख की बातें करते और फिर अपने अपने घर चले जाते! एक दिन बंता नहीं आया संता ने इसे मामूली बात समझा और अपने घर चला गया लेकिन जब लगातार एक हफ्ते तक बंता नहीं आया तो संता को चिन्ता होने लगी परंतु वह कुछ नहीं कर सकता था वे दोनों काफी समय से पार्क में मिलते जरूर थे पर एक दूसरे का घर नहीं जानते थे लिहाजा उसने समझ लिया कि पिछली मुलाकात ही उनकी आखिरी मुलाकात थी और बंता अब इस दुनिया में नहीं है बहरहाल उसने अकेले ही पार्क में जाना जारी रखा! छ: महीने बाद अचानक एक दिन बंता पार्क में घूमता हुआ नजर आया बंता को देखकर संता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा फिर उसने पूछा इतने दिन कहां रहे? मैं जेल में था बंता ने जवाब दिया! जेल! संता चिल्लाया पर किस वजह से? बंता आराम से बैठकर बोला पार्क के मेन गेट पर जो कॉफी शॉप है तुम उसकी सुन्दर सी मालकिन को जानते हो न? हां तो? संता ने भौहें सिकोड़ते हुए कहा एक दिन पैसों के लेनदेन को लेकर मेरा उससे झगड़ा हुआ और मैंने उसे एक थप्पड़ रसीद कर दिया इस बात से नाराज होकर वह थाने चली गई और मेरे खिलाफ बलात्कार की झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी! भरी अदालत में जब जज ने मुझसे इस आरोप की सफाई मांगी तो सच कहूं 80 साल की इस उम्र में अपने ऊपर लगे इस आरोप पर मुझे इतना गर्व महसूस हुआ कि मुझसे मना करते नहीं बना और मैंने उसे स्वीकार कर लिया! मेरी उम्र को देखते हुए जज ने मुझे मात्र 6 महीने जेल की सजा सुना दी बस!

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