वहा तक तो साथ चल जहा तक मुमकीन है।
जहा हालात बदल जाये तुम भी बदल जाना
Er kasz
वहा तक तो साथ चल जहा तक मुमकीन है।
जहा हालात बदल जाये तुम भी बदल जाना
Er kasz
नहीं चाहिए तेरे इश्क की दुकान से कुछ भी,
हर चीज़ मे मिलावट है बेवफ़ाई की.!
बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती
Er kasz
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना
शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता
ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता
er kasz
बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद
यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा
Er kasz
कितने आंसू बहाऊँ उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नही
लगता है खुदा का बुलावा आने वाला है
आज कल मेरी झूठी कसम खा रही है वो "पगली"
एक तेरा ही नशा हमें मात दे गया वरना,
मयखाना भी हमारे हाथ जोड़ा करता था !
er kasz
सुनो ये जो तुमने अपना अंदाज बदला है
ये वाकई बदला है या किसी बात का बदला है
अजीब रंग मे गुजरी है जिन्दगी अपनी
दिलो पर राज किया और मोहब्बत को तरसे
Er kasz
आग लगाना मेरी फितरत में नही है
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसू
Er kasz
वक्त के साथ कितना कुछ बदल जाता है !
चेहरे भूल जाते हैं फिगर याद रह जाता है!!Er kasz
तुझे देखकर ही शुरू होती है मेरी हर सुबह
फिर कैसे कह दूँ के मेरे दिन खराब है
लगता है किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी
अगर इश्क़ हो तो कहना अब दिल यहाँ नही रहता