भुला दिया है सब अपनों ने इस तरह से
जैसे के हम इस जहाँ मे रहते ही नहीं

‪वफ़ा‬ की मौज ‪मस्ती‬ में अब भी ‪बादशाह‬ हैं हम
जो ‪दिल‬ को ‪तोड़‬ देते हैं हम उन्हें ‪छोड़‬ देते हैं

किसी एक के न मिलने से जिन्दगी तो नहीं रुकती
पर उसकी कमी जरूर बनी रहती है

Mene Apni Har Dua Me Tujhe Manga Hai.Hu Bewafa Lakin Wafa Se Tujhe Manga Hai.Kabhi Sajde Mai Puch Jakr Rab Se.Ke Mene Kis Kis Ada Se Tujhe Manga Hai

किन लफ़्ज़ों में बयां करूँ अपने दर्द को ए ज़िन्दगी
सुनने वाले तो बहुत हैं समझने वाला कोई नहीं...

कैसे गुज़रती है मेरी हर एक शाम तेरे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तनहा ना छोड़ते मुझे..

अब गिला क्या करना उनकी बेरुखी का
दिल ही तो था भर गया होगा

किताबो की तरह बहुत से अल्फाज़ है मुझमें
और किताबो की तरह ही खामोश रहता हूँ मैं

शाम के अंधियारे के आँचल में सर रखकर
कुछ आरजुएँ दिन भर की थकान मिटाती हैं

मैं दुआ में उसे माँगता हूँ और वो किसी और को
कभी कभी सोचता हूँ भगवान किसकी सुनेगा ?

बीत जाती है जिसकी पूरी रात सिसकियों में,
वो शख्स दिन के उजालों में सारे जहाँ को हँसाता फिरता हैं...!!

Tumhara Hum-Safar Hona Meri Andhi Tamanna thi
Magar Dastoor e Duniya Hai Jise Chaho Nahin Milta

जिसे भी देखा रोते हुए ही पाया,
.
मुझे तो ये इश्क़ किसी फ़क़ीर की बद्दुआ लगती है.

मुझे आज भी उम्मीद है के तुम लोट के आओगे एक दिन
चाहे वो दिन मेरी मौत का ही क्यों ना हो...

ना जाने क्यूँ रेत की तरह हाथों से निकल जाते हैं लोग
जिन्हें हम जिंदगी समझ कर कभी खोना नहीँ चाहते..