महाकाल के बेटे हैं इसलिए चुप बैठे है
वरना हमसे जो ऐठे है वो शमशान में लेटे है
er kasz

खामोश रहता हूँ क्योकि अभी दुनिया को समझ रहा हूँ
समय जरूर लूंगा पर जिस दिन भी दांव खेलूंगा
उस दिन खिलाडी भी मेरे और खेल भी

हम तो दुश्मनी भी दुश्मन की औकात देखकर करते है
बच्चो को छोड देते है और बडो को तोड देते हे

आदत नहीं हमे पीठ पीछे वार करने की
दो शब्द कम बोलते हैं पर सामने बोलते हैं

शेर खुद अपनी ताकत से राजा कहलाता है
जंगल में कभी चुनाव नही होते

मेरा‪ वक़्त बदला है रुतबा‬ नही
और तेरी‪ किस्मत बदली है औकात ‬नही

जुनून हौसला और पागलपन आज भी वही है
थोडा सिरीयस हुआ हूँ सुधरा नही हूँ

तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे
शहर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे

बादशाह हो या मालिक सलामी हम नहीं करते
हसीना हो या पैसा गुलामी हम नही करते

सीधा साधा दीखता हूँ अब रोल बदल दूंगा
जिस दिन जिद में आ गया माहौल बदल दूंगा

बचपन से ही शौक था अच्छा इन्सान बनने का
बचपन खतम शौक खतम

भीड़ में खड़ा होना मकसद नही है मेरा
बल्कि भीड़ जिसके लिए खड़ी है वो बनना है मुझे

हमारा जीने का तरीका थोडा अलग है
हम उम्मीद पर नहीं अपनी जिद पर जीते है

मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना

शेरों को कहना नया शिकारी आया हैं
या तो हुकूमत छोड़ दे या जीना