अपनी आदतों के अनुसार चलने में, इतनी गलतियाँ नहीं होती हैं
जितनी दुनिया का लिहाज रखकर चलने में होती हैं
Er kasz
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अपनी आदतों के अनुसार चलने में, इतनी गलतियाँ नहीं होती हैं
जितनी दुनिया का लिहाज रखकर चलने में होती हैं
Er kasz
Kuch to batt hogi mere shayri ke alfazo me
yu hi to nahi duniyan meri shayri ko apne status lagati hai
er kasz
Aág Lgána Merì Fitrát me Náhi hãi
Merì Sãadgì se Lõg jále tõ ismê Mêra Kyã Kásõo
मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है
उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया
सब लोग हर बात की लिमीट रखते है
तो बेवफ़ाई क्यु कोई लिमीट नहीं रखता