सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं...
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता....er kasz
सोचता हूँ कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं...
कौन है तेरे दिल में जो मुझे बसने नहीं देता....er kasz
तेरी आँखो की नज़र से जो भी एक बार टकराया होगा
मुझे नही लगता वो अब तक घर पहुँच पाया होगा
तुम्हारी प्यार का ऐसे हमें इज़हार मिलता है
हमारा नाम सुनते ही तुम्हारा रंग खिलता है
कोई पूछता है मुझसे जब मेरी जिंदगी की कीमत
मुझे याद आ जाता है तेरा हल्का सा मुस्कुराना
दिल में मोहब्बत काले धन की तरह छुपा रक्खी है
खुलासा नहीं करते कि कहीं हंगामा न मच जाये
इसी बात से लगा लेना मेरी शोहरत का अन्दाजा
वो मुझे सलाम करते है जिन्हे तु सलाम करता हैं
अगर किसी दिन रोना आये
तो कॉल करना हसाने की गारंटी नही देता हूँ पर तेरे साथ रोऊंगा जरुर
तड़प के जब मेरे इश्क़ में तू रोना चाहेगी
है क़सम तेरे सर की हम तुझे रोने ना देंगे
किसी ने आज पूछा हमसे कहाँ से लाते हो ये शायरी
मैं मुस्करा के बोला उसके ख्यालो मे डूब कर
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने
हसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है
उठा लेता तुझे बाहों में अगर जमाने का डर न होता
रख लेता अपने साथ तुझे अगर मेरा भी घर होता
रात देर तक तेरी देहलीज़ पर बैठी रही ऑंखें मेरी
खुद न आना था तो कोई ख्वाब ही भेज दिया होता
ज़ुल्म इतने ना कर के लोग कहे तुझे दुश्मन मेरा..
मैंने ज़माने को तुझे अपना प्यार बता रखा है.
बिन पूछे आ जाता है कभी सवाल नहीं करता है,
आखिर क्यों तेरा ख़याल मेरा ख़याल नहीं करता है !
पागल नहीँ थे हम जो तेरी हर बात मानते थे,
बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नहीँ लगता था.